राग पीलू का सम्पूर्ण परिचय
शास्त्रीय उपशास्त्रीय चित्रपट व् लोक संगीत में सामान रूप से जान प्रचलित राग पीलू को काफी थाट का जन्य राग मन गया है। जब के विद्वान संगीतज्ञ इस राग में 12 सुरो का प्रयोग करते है।
अधिकतर रागो में स्वर का शुद्ध रूप आरोह में और कोमल अवरोह में प्रयोग किया जाता है लेकिन राग पीलू इस नियम का अपवद है।
राग पीलू में कई बार स्वर का शुद्ध रूप अवरोह में और कोमल रूप आरोह में दिखाई पड़ता है।
राग पीला का वादी स्वर गांधार है तथा नि को सम्वादी माना गया है।
गायन समय दिन का तीसरा प्रहार है किन्तु प्रचार में इसे किसी भी समय गया जाता है।
इस राग में अधिकतर भजन टप्पा ठुमरी गयी बजे जाती है।
विलम्बित ख्याल और ध्रुपद धमार इसमें सुनाई नहीं पड़ते है।
राग पीलू की जाती औडव - सम्पूर्ण है, किन्तु राग चलन में सात स्वर का प्रयोग करते है।
आरोह - नि सा ग म प नि सां
अवरोह - सां नि ध प, ग म ध प, ग s रे सा
पकड़ - नि सा ग $ रे सा नि $ ध प म प नि सा
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