राग गौडसारंग का सम्पूर्ण परिचय बंदिस सहित
यह राग कल्याण थाट से उत्पन्न होता है। इसकी जाति सम्पूर्ण - सम्पूर्ण है। इसका स्वरुप कुष्ठ वक्र है। दोनों मध्यमो का प्रयोग इस राग में सर्वसम्मत है। गंधार और निषाद को वकृत्व प्राप्त होता है। किन्तु इस राग मुख्या अंग 'गरे मग' इस स्वर समुदाय पर अवलम्बित है। वादी स्वर गंधार (ग) सम्वादी धैवत (ध) है। इस राग के गाने का समय दोपहर बहुसम्मत है। तीव्र माँ का प्रयोग केवल आरोह में कर सकते है।
आरोह - सा, ग रे म ग , प मे ध प, नि ध सां।
अवरोह - सां ध नि प, ध मे प ग, म रे, प रे सा।
पकड़ - सा ग रे म ग, प रे सा।
वादी - गंधार - ग
सम्वादी - धैवत - ध
राग गौडसारंग त्रिताल (मध्यलय)
प ल न ला | ऽ गि मो रि | आँ खि याँ ऽ | आ लि बि न
म म रे सा | ー रे सा सा| ग रे म ग | प मे ध प
0 | ३ | X | २
पि यु मो रा | जि या घ ब | रा ऽ वे चै- | ऽ न न हिं
ध नि सां रें | सां नि ध प | म ग रे गम | प रे सा सा
0 | ३ | X | २
आ ऽ वे ऽ | ध रि प ल | छि न दि नाऽ | ऽ रै ऽ न |
ध्न नि प्न ー | प्न प म प | ग म रे गम | प रे ー सा |
0 | ३ | X | २
इन्हे भी पड़े -
अंतरा
बी ऽ रऽ प | थि क वा ले | ज वो ऽ सँ | दे स वा ऽ |
म ー मग प | प प सां ध | सां सां ー सां | सां रें सां ー|
0 | ३ | X | २
पि या स न | क हि यो ऽ | मो ऽ रि बि |था ऽ ऽ ऽ
सां सां ध ध | सां सां सां ー |सां रें सां सां | ध ー नि प
0 | ३ | X | २
पु म रे द | र सा बि न | प र त ना | ऽ हिं बि र |
म म रे म | म रे सा सा| म म ग सा | म ग प प |
0 | ३ | X | २
ऽऽऽ नऽ ऽ को | ऽ क ल ऽ
मेपध मेप ー ग | म रे साー
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