आलाप किसे कहते है
किसी भी राग के स्वरों को जब हम विलंबित (धीरे-धीरे) लय में विस्तार करते हैं तो उसे आलाप कहते हैं। आलाप में आवश्यकतानुसार मींड, खटका, मूर्की, गमक आदि का भी प्रयोग होता है।
गायकी में आलाप दो प्रकार से किया जाता है। पहला आकार में और दूसरा नोम-तोम ताना देर ना री रे ॐ दे यली यला आदि शब्दों में किया जाता है। पहले वाले को आकार का आलाप और दूसरे को नोम-तोम का आलाप कहते हैं।
बोल-आलाप और बोल-तान
जब गीत के शब्दों को लेकर आलाप करते हैं तो उसे बोल-आलाप कहते हैं।बोल-आलाप मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। लय-बद्ध और लय-रहित।
जब तान में गीत के शब्दों का प्रयोग करते हैं तो उसे बोल-तान कहते हैं।
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