राग बिहाग परिचय बंदिश सहित
राग बिहाग परिचय। राग बिहग परिचय बंदिश सहित। कान्हा जारे जारे सवरिया राग बिहाग बंदिश।
राग बिहाग गायन समय, राग बिहाग वादी सम्वादी स्वर कौन से है,
परिचय - इस राग की रचना बिलाबल थाट से मानी गयी है। इसके आरोह में रे (ऋषभ) और ध (धैवत)
स्वर वर्ज्य है तथा अवरोह में सतो स्वरों का प्रयोग होता है। इसकी जाती औडव सम्पूर्ण है। वादी स्वर गांधार अर्थात ग सम्वादी स्वर निषाद अर्थात नि है। कभी कभी तीव्र म का प्रयोग किया जाता है। गायन समय रात्रि का प्रथम प्रहर है।
आरोह - नि सा ग, म प, नि सां ।
अवरोह - सां नि, ध प, मे प ग म ग, रे सा ।
पकड़ - नि सा ग म प, मे प ग म ग, रे सा ।
राग बिहाग तीन-ताल (मध्यलय )
* स्थायी *
सा म ग प | ¯ नि ¯ नि | सां नि प मे | ग म ग ¯ |
का न्हा जा रे | S जा S रे | जा S रे सा | व रि या S |
० | ३ | X | २
गम पध ग म | ग रे सा नि | सा प मे प | ग म ग ¯ |
काS SS हे रो | S के मो रि | घ र की ड | ग रि या S |
० | ३ | X | २
अन्तरा
ग म प नि | सां सां सां सां | सांरें सां नि ¯ | प सां नि ¯ |
जै S सो S | त न ते रो | तैS सो S S | म न वा S|
० | ३ | X | २
ग म प नि | सांगं रेंगं सां सां | सां मं गं ¯ | सां रें सां ¯ |
जै S सो S | तS नS ते रो | तै S सो S | म न वा S |
० | ३ | X | २
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तान -
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