संगीत कि उत्पत्ति | sangeet ki utpatti kaise hui

संगीत कि उत्पत्ति --


"कहा जाता है कि सभ्यता के साथ संगीत भी परिष्कृत हो जाता है। संगीत का अस्तित्व ब्रह्मांड की शुरूआत से बताया गया है"। 

प्राचीन समय में ऋषि ईश्वर की आराधना आध्यात्मिक शक्ति से सम्पन्न करते थे। इसलिए वह ऊं स्वर से साधना करते थे। 

ऊं स्वर का दीर्घ उच्चारण कर लंबी ध्वनि द्वारा नाद स्थापित किया जाता था। इस उच्चारण को आध्यात्मिक ज्ञान की वृद्धि और संगीत उपासना पर्याय माना गया है।









*संगीत की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा हुई। ब्रह्मा ने आध्यात्मिक शक्ति द्वारा यह कला देवी सरस्वती को दी*
                                          सरस्वती को 'वीणा पुस्तक धारणी' कहकर और साहित्य की अधिष्ठात्री माना गया है। इसी आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा सरस्वती ने नारद को संगीत की शिक्षा प्रदान की। नारद ने स्वर्ग के गंधर्व किन्नर तथा अप्सराओं की संगीत शिक्षा दी।

वहां से ही भरत, नारद और हनुमान आदि ऋषियों ने संगीत कला का प्रचार पृथ्वी पर किया।


 आध्यात्मिक आधार एक यह भी है कि नारद जी ने भगवान शिव की अनेक वर्षों तक आराधना की तब शिवजी ने प्रसन्न होकर नारदजी को संगीत प्रदान किया |



 कुछ विद्वानों अनुसार -


 1. संगीत दर्पण के लेखक दामोदर पंडित ने कहा संगीत की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा हुई है


 2. फारसी के एक विद्वान के अनुसार पहाड़ों में मुसिकार नाम का एक पक्षी रहता था जिसकी चोंच में बांसुरी की भाती सात सुराख़ है, वही से संगीत के सात सुरों कि उत्पत्ति हुई |


3. फ्रायड के अनुसार संगीत की उत्पत्ति एक शिशु की भांति है जो मनोवैज्ञानिक पर आधारित है जैसे बाल रोना चिल्लाना अपने आप से कहता है उसी प्रकार मनुष्य को संगीत अपने आप आ गई



4. कुछ अन्य विद्वानों के आधार पर यही माना गया है कि संगीत मनुष्य को खुद से ही आ गया है



 (अब इसमें कौन सी मत सही है और कौन सा मत गलत है यह बता पाना यह कहना अत्यंत कठिन है)


 प्राचीन ग्रंथों के अनुसार चार मुख्य मत पाए जाते हैं-

1.शिव - मत

2.कृष्ण मत

3 भरत मत

4 हनुमंत



"संगीत के विषय में यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव हैं, तो आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं "










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