थाट और राग की तुलना | raag aur that ki tulna

हम रागो और थाटो के बारे में पिछले post में पड़ चुके हैं
चलिए हम आज राग और थाट की तुलना करते हैं






            "थाट और राग की तुलना"


हम इसकी तुलना आसान तरीके करेंगे जो आपको समझ आये -


1. सप्तक से थाट की और थाट से राग की रचना मानी गयी हैं, अतः थाट को राग का पिता माना जाता  है |

2. थाट गाया नहीं जाता किन्तु राग को गाते हैं |

3. थाट में रंजकता अवश्यक नहीं हैं जबकि रागो में रंजकता आवश्यक हैं क्युकी थाट गाया नहीं जाता राग को गाया जाता हैं |

4. थाट में आरोह अवरोह दोनों का होना जरूरी नहीं हैं किन्तु राग में आरोह अवरोह का होना आवश्यक हैं क्योंकि थाट का आरोह अवरोह सामान होता हैं किन्तु राग का अलग भी हो सकता हैं


5. थाट में वादी सम्वादी पकड़ गायन समय आवश्यक नहीं हैं किन्तु राग में ये सब आवश्यक हैं क्योंकि राग को गाया जाता है |


6. थाट के सातों स्वर क्रमानुसार होने चाहिए किन्तु राग में यह आवश्यक नहीं हैं |


7. थाट का नाम उसके उत्पन्न प्रसिद्ध रागो से किया गया हैं किन्तु राग का नाम स्वतंत्रत रूप से किया ज्ञान हैं |


ये कुछ बिंदु के माध्यम से हमने रागो और थाटो के बीच तुलना की






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