Swami haridash jivan parichay | स्वामी हरिदास जी का जीवन परिचय

                   स्वामी हरिदास जीवन परिचय                   





"भक्त चरितामृत" के अनुसार स्वामी हरिदास जी का जन्म संवत 1537 के भादो मास में (सन 1490) जन्मआष्ट्मी को हुआ, जो सारस्वत ब्राम्हण थे |इनके जन्म स्थान और गुरु के विषय में कई मत प्रचलित हैं। इनका जन्म समय कुछ ज्ञात नहीं है।


भक्त कवि, शास्त्रीय संगीतकार तथा कृष्णोपासक सखी संप्रदाय के प्रवर्तक थे। इन्हें ललिता सखी का अवतार माना जाता है। वे वैष्णव भक्त थे तथा उच्च कोटि के संगीतज्ञ भी थे।
वे प्राचीन शास्त्रीय संगीत के अद्भुत विद्वान एवम् चतुष् ध्रुपदशैली के रचयिता हैं। प्रसिद्ध गायक तानसेन इनके शिष्य थे। अकबर इनके दर्शन करने वृन्दावन गए थे। ‘केलिमाल’ में इनके सौ से अधिक पद संग्रहित हैं। इनकी वाणी सरस और भावुक है।


ये महात्मा वृन्दावन में निंबार्क सखी संप्रदाय के संस्थापक थे और अकबर के समय में एक सिद्ध भक्त और संगीत-कला-कोविद माने जाते थे। कविताकाल सन् 1543 से 1560 ई. ठहरता है। प्रसिद्ध गायनाचार्य तानसेन इनका गुरूवत् सम्मान करते थे।
यह प्रसिद्ध है कि अकबर बादशाह साधु के वेश में तानसेन के साथ इनका गाना सुनने के लिए गया था। कहते हैं कि तानसेन इनके सामने गाने लगे और उन्होंने जानबूझकर गाने में कुछ भूल कर दी। इसपर स्वामी हरिदास ने उसी गाना को शुद्ध करके गाया। इस युक्ति से अकबर को इनका गाना सुनने का सौभाग्य प्राप्त हो गया। पीछे अकबर ने बहुत कुछ पूजा चढ़ानी चाही पर इन्होंने स्वीकार नहीं की।

स्वामी हरिदास के जीवन के विषय में बहुत कम सामग्री प्राप्त होती हैं, इसका कारण हैं की उस समय के कोई भी साहित्यकार या संगीतज्ञ अपने बारे में लिखना पसंद नहीं करते थे, 

अतः स्वामी जी के जन्मतिथि और जन्म स्थान के बारे में बहुत मदभेद हैं 
एक मतानुसार उनका जन्म पंजाब के मुल्तान अथवा हरियाणा के किसी गाँव में हुआ था | 
कुछ अन्य मतानुसार वो उत्तरप्रदेश के अलीगढ जिले में जन्मे थे तथा उनके ही नाम से हरिदासपुर ग्राम बसा हैं |




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