हम राग यमन और राग भूपाली सीख चुके हैं |
आईये आज हम राग आसावरी के बारे में जानते है |
राग आसावरी =
यह राग आसावरी थाट से उत्पन्न मना गया हैं |
आसावरी राग में ग ध व नि स्वर कोमल लगते हैं.
वादी ध और सम्वादी ग माना गया है |
आरोह में ग एवं नि का प्रयोग वर्जित हैं तथा अवरोह में सातों स्वरों का प्रयोग होता हैं |
इसकी जाति औडव - सम्पूर्ण हैं |
गायन समय दिन का दूसरा प्रहार हैं
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