पिछले post में हम राग यमन राग आसावरी और राग बिहाग के बारे में पड़ चुके हैं |
हम आज राग दुर्गा के बारे में पड़ेंगे |
राग दुर्गा -
परिचय -
ये राग बिलावल थाट से माना गया है | इसमें ग और नि वर्जित हैं | इसकी जाति औडव - औडव हैं | वादी ध और सम्वादी रे है | इसे रात्रि के द्वितीय प्रहर में गाया बजाया जाता हैं |
इस राग में कई मतभेद हैं, कुछ संगीतकार म को वादी और सा को सम्वादी मानते हैं
आरोह - सा रे ग म प ध सां |
अवरोह - सां ध प म रे सा |
पकड़ - ध, म रे प, म प ध म ~ रे, सा रे •ध सा |
आईये अब हम इसके वंदिस को जानते है |
राग दुर्गा - तीनताल ( मध्यलय)
स्थायी -
रे प प ध | म प ध प | ध ~ म प | म रे सा सा|
दे ~ वि दु | ~ र्गे ~ द | या ~ नि द| या ~ क रो |
O | 3 | X | 2
रे ध सा रे | म प ध सां | धसां रेंसां ध म | प म रे सा
2 टिप्पणियाँ
राग दुर्गा का आरोप गलत लिखा गया है यह आर्डर जाति का रह गया आर्डर बॉर्डर और इसमें आरोपों में गंधार वर्जित है
जवाब देंहटाएंdhanyawad
हटाएंplease do not enter any spam link in the comment box.