Raag ki paribhasha aur lakshan | राग की परिभाषा एवं राग लक्षण


राग लक्षण और परिभाषा 




आज हम रागो की परिभाषा और उनके कुछ लक्षणों के बारे में जानेंगे |

परिभाषा  -  


                कम से कम पाँच और अधिक से अधिक सात                स्वरों की वह सुन्दर रचना जो कानो सुनने में अच्छी              लगे उसे राग कहते हैं |

दूसरे शब्दो में.

           "स्वर और वर्ण से विभूषित रचना या ध्वनि जो                  मनुष्यो का मनोरंजन या मनुष्यो को सुनने अच्छी लगे            उसे  राग कहते हैं" |


राग लक्षण -



प्राचीन समय में राग के 10 लक्षण माने जाते थें |
जिनके नाम इस प्रकार है.

1. ग्रह  2. अंश  3. न्यास  4. उपन्यास  5. षाडवत्व  6. ओडवत्व   7. अल्पत्व  8. बहुत्व 9. मन्द्र  10. तार




आईये हम आज के युग के रागो के लक्षण को जानते हैं - 

1.  राग की पहली विशेषता उसकी रंजकता हैं प्रत्येक           राग में रंजकता अवश्य होनी चाहिए.


2. राग में कम से कम 5 स्वर और अधिक से अधिक             7 स्वर अवश्य होने चाहिए |


3. प्रत्येक राग का कोई ना कोई थॉट अवश्य होना                 चाहिए |  जैसे भूपाली राग का कल्याण थाट |



4. किसी राग में "सा" कभी वर्जित नहीं होता क्युकी सा            सप्तक का आधार स्वर होता है |


5.  राग में म और प में से एक स्वर राग में अवश्य होना         चाहिए क्युकी म और प कभी एक साथ वर्जित नहीं         होते |


6. रागो में आरोह अवरोह पकड़ वादी सम्वादी स्वर                अवश्य होना चाहिए|


7. प्रत्येक राग का गायन समय हिना चाहिए |


8. किसी भी राग में दोनों स्वर एक के बाद एक नहीं           प्रयोग किये जाते जैसे.  ग के बाद सीधे कोमल ग को नहीं गया जाता |






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